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How to Understand Operation Sindoor in India

Operation Sindoor  Army. Its purpose was to destroy the. Last night India carried out a big surgical strike on Pakistani terrorists by calling it a monk drill A surgical strike was carried out to destroy the training base of ISIS. The Indian Army named this operation Operation Sindoor. What is Operation Sindoor?  Operation Sindoor was run by the Indian . In the recent Palgam attack in Jammu and Kashmir, innocent Indians were asked about their religion and all the people of Hindu religion were killed. This included newly married couples as well. Their husbands were snatched away from them. To take revenge for that, India started Operation Sindoor  Objective of Operation Sindoor    terrorist bases in Pakistan. And the terrorists who had wiped out the sindoor from the forehead of Sugan. All their training bases were destroyed. had to be 

उत्तराखंड में अपनी चार धाम यात्रा की योजना कैसे बनाएं?

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को खोल दिए गए.चार धाम के नाम!







चार धाम यात्रा नक्शा


धार्मिक मान्यता:


चार धाम यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस यात्रा से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।आध्यात्मिक अनुभव:यह यात्रा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है और भक्तों को भगवान के करीब लाने में मदद करती है।

प्राकृतिक सौंदर्य:


चार धाम यात्रा हिमालय के सुंदर दृश्यों के बीच होती है, जो प्रकृति के प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षक अनुभव प्रदान करता है।

चार धाम:बद्रीनाथ:


भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।केदारनाथ:भगवान शिव को समर्पित मंदिर, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।गंगोत्री:देवी गंगा को समर्पित मंदिर, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।

यमुनोत्री:


देवी यमुना को समर्पित मंदिर, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।यात्रा का क्रम:चार धाम यात्रा को घड़ी की सुई की दिशा में पूरा किया जाता है। यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, उसके बाद केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ में समाप्त होती है।

बद्रीनाथ , द्वारका , पुरी और रामेश्वरम शिव के चार धामशामिल हैं।

कपाट खोले जाने के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे. उन्होंने इसे 'राज्य का उत्सव' करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के सुव्यवस्थित और सफल संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं.

इससे पहले 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के भी कपाट खोले गए. बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 4 मई को खुलेंगे.

इन मंदिरों के कपाट खोले जाने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. आइए जानते हैं चारधाम यात्रा के बारे में ख़ास बातें.

चारधाम यात्रा क्या है?

हिंदुओं के चार धाम किस राज्य में है, उत्तराखंड अपने कई प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों से सालों भर श्रद्धालु राज्य के कई मंदिरों में दर्शन चार धाम के नाम के लिए आते हैं.।

इनमें सबसे अहम है चारधाम यात्रा, जिसकी एक लंबी प्लानिंग श्रद्धालु करते हैं.

ये सभी धाम उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में ऊंचाई पर स्थित हैं.

उत्तराखंड पर्यटन वेबसाइट के अनुसार, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित ये मंदिर सर्दियों की शुरुआत (अक्टूबर या नवंबर) के साथ बंद हो जाते हैं और क़रीब छह महीने तक बंद रहने के बाद गर्मियों की शुरुआत (अप्रैल या मई) में खोल दिए जाते हैं.

ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा को घड़ी की सुई की दिशा में पूरा करना चाहिए, इसलिए इसकी शुरुआत यमुनोत्री से होती है। इसके बाद श्रद्धालु गंगोत्री की तरफ रवाना होते हैं, और इसके बाद केदारनाथ में दर्शन करते हुए बद्रीनाथ जाते हैं, और वहां पूजा-अर्चना के बाद ये यात्रा समाप्त हो जाती है।.

चारधाम यात्रा यहीं से शुरू होती है.

चार धाम यात्रा का सही क्रम, यमुना के उद्गम स्थल के क़रीब स्थित इस मंदिर तक पैदल, घोड़े या पालकी से पहुंचा जा सकता है.

यह मंदिर समुद्र तल से 3,233 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये जगह उत्तरकाशी ज़िले में है। ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी क़रीब 210 किलोमीटर है।.

यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री मंदिर भी उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है. यह ऋषिकेश से लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पर है.

गंगोत्री भारत के सबसे ऊँचे धार्मिक स्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3,415 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है.

गंगा नदी जिस स्थान से निकलती है, उसे 'गोमुख' कहा जाता है, जो गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित गंगोत्री ग्लेशियर में है.

गोमुख से निकलने के बाद इस नदी को 'भागीरथी' कहा जाता है, और जब यह देवप्रयाग के निकट अलकनंदा नदी से मिलती है, तब यह गंगा बन जाती है.

केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है,

 जो समुद्रतल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में पड़ता है. ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी क़रीब 227 किलोमीटर है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको क़रीब 18 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होती है.

यहां पालकी और खच्चर के सहारे भी आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं या बुकिंग कर हेलीकॉप्टर से भी जा सकते हैं.

केदारनाथ को हिन्दुओं के पवित्र चार धामों में से एक माना जाता है.

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में जिन बारह ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख है, केदारनाथ उनमें सबसे ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्लिंग है. केदारनाथ मंदिर के पास ही मंदाकिनी नदी बहती है.

यह मंदिर क़रीब एक हज़ार साल पुराना बताया जाता है जिसे चतुर्भुजाकार आधार पर पत्थर की बड़ी-बड़ी पट्टियों से बनाया गया है. केदारनाथ मंदिर के पीछे केदारनाथ चोटी और हिमालय की दूसरी चोटियां हैं. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.

केदारनाथ धाम का पट खुलने के पहले दिन 30,154 श्रद्धालुओं ने यहां दर्शन किए.

चारधाम यात्रा का आख़िरी पड़ाव बद्रीनाथ धाम है, जो समुद्र तल से 3,100 मीटर की ऊंचाई पर है.

ये अलकनंदा नदी के किनारे गढ़वाल हिमालय में है. ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में इसकी स्थापना की थी. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है.

केदारनाथ धाम, 

हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम की यात्रा करते हैं, ऐसे में अगर आप पहले से गाड़ी, होटल और अन्य चीजों की प्लानिंग करेंगे तो यात्रा में आसानी होगी.

इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन की सुविधा ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों माध्यमों में उपलब्ध है।.

यात्रा मार्ग में कई जगह इसके लिए काउंटर बने होते हैं, जैसे कि हरिद्वार, ऋषिकेश समेत अन्य स्थानों पर.

रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट अपने साथ रखें।

चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन, यात्रा में जाने से पहले वैध पहचान पत्र ज़रूर रख लें।

अगर आप किसी तरह की दवाई ले रहे हों तो वो साथ रखें।

गर्म कपड़े अपने साथ रखें

इस यात्रा के बारे में हर ज़रूरी जानकारी आपको उत्तराखंड टूरिज्म की वेबसाइट पर मिल जाएगी.

अगर आप केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सर्विस का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको आईआरसीटीसी हेली यात्रा से जाकर बुकिंग करनी होगी.

हेलीकॉप्टर टिकट बुकिंग की शुरुआत सात मई से होगी। इस यात्रा के दौरान कई किलोमीटर आपको चलना भी पड़ सकता है, इसलिए उसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दें।.

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